आरती श्री श्रीवृषभानुलली की

आरती श्री श्रीवृषभानुलली की


आरती श्री श्रीवृषभानुलली की



आरति श्रीवृषभानुलली की।सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥

भयभन्जिनि भव-सागर-तारिणि,पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि,

दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि,जनपालिनि जगजननि भली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की।

सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥

अखिल विश्व-आनन्द-विधायिनि,मंगलमयी सुमंगलदायिनि,

नन्दनन्दन-पदप्रेम प्रदायिनि,अमिय-राग-रस रंग-रली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की।

सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥

नित्यानन्दमयी आह्लादिनि,आनन्दघन-आनन्द-प्रसाधिनि,

रसमयि, रसमय-मन-उन्मादिनि,सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की।

सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥

नित्य निकुन्जेश्वरि राजेश्वरि,परम प्रेमरूपा परमेश्वरि,

गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि,विमल विचित्र भाव-अवली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की।

सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥