अमावस्या व्रत कथा

अमावस्या व्रत कथा


अमावस्या व्रत कथा



पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में एक गरीब ब्राह्मण रहता है. पैसों की कमी के कारण उसकी पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था. अपनी गरीबी से परेशान होकर एक दिन ब्राह्मण दंपत्ति ने एक साधु से उपाय पूछा, तो साधु ने बताया कि पास के गांव में एक धोबिन है, जो अपने बेटे और बहु के साथ रहती है. यदि आपकी बेटी उस धोबिन की सेवा करें तो धोबिन खुश होकर उसे अपनी मांग का सिंदूर दे देगी, जिससे कन्या का विवाह तय हो जाएगा. यह सुनकर कन्या धोबिन के घर जाकर सारा काम करने लगी और इसका पता धोबिन व उसकी बहू को नहीं चल पाया.


एक दिन धोबी ने अपनी बहू से पूछा कि तुम इतना सारा काम इतनी जल्दी कैसे कर लेती हो तो बहू बोली मुझे लगा कि आप यह सारा काम करती हैं. धोबिन चौंक गई और उसने नजर रखना शुरू किया. धोबिन ने जब सुबह उठकर देखा तो एक कन्या चुपचाप उसके घर का सारा काम कर रही थी. कई दिनों तक ऐसा चलता रहा. एक दिन धोबिन ने कन्या से कारण पूछा. 


कन्या ने साधु द्वारा कही सारी बात धोबिन को बता दी. उसकी बात सुनकर धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर उसे दिया और उसी समय धोबिन के पति की मृत्यु हो गई. उससे दुखी होकर कन्या घर से निकल पड़ी और एक पीपल के पेड़ के पास पहुंचकर 108 ईटों के टुकड़े लिए और उन टुकड़ों को 108 बार परिक्रमा करके एक एक बार फेंकने लगी. कन्या ने ऐसा करने से धोबिन का पति जीवित हो गया. पीपल के पेड़ की परिक्रमा के कारण कन्या को शुभ फल की प्राप्ति हुई |