जन्माष्टमी व्रत कथा

 जन्माष्टमी व्रत कथा 


जन्माष्टमी व्रत कथा



पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण (श्रीकृष्ण मंत्र)का जन्म मथुरा में हुआ था। ऐसा बताया जाता है कि उनका जन्म कंस का वध करने के लिए हुआ था। बता दें कि द्वापर युग में कंस ने अपने पिता उग्रसेन राजा की राजगद्दी छीन ली थी और उन्हें जेल में बंद कर दिया था। इसके बाद कंस ने अपने आप को मथुरा का राजा घोषित कर दिया था। वहीं कंस की एक बहन भी थी। जिनका नाम देवकी था।


कंस अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव के साथ धूम-धाम के साथ करा दिया। उसके बाद वह देवकी को विदा कर रहा था। तब आकाशवाणी हुई कि देवकी का आंठवां पुत्र कंस का वध करेगा। तब यह आकाशवाणी सुनकर कंस का रुह कांप उठा और वह घबराने लग गया।


ऐसी आकाशवाणी सुनने के बाद वह अपनी बहन देवकी की हत्या करने का मन बना लिया था, लेकिन वासुदेव ने कंस को समझाया कि ऐसा करने से उसे कोई फायदा नहीं होगा। तब उसने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को जेल में कैद कर लिया और वासुदेव से कहा कि तुम अपने आठवीं संतान को मुझे सौंप दोगे।


उसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव की 7 संतान को मार दिया। जब आठवीं का जन्म होने वाला था, तब आसमान में घोर घने बादल छा गए और तेज वर्षा होने लग गई। साथ ही आसमान में बिजली कड़कने लगी।


मान्यताओं के अनुसार, मध्यरात्रि 12 बजे जेल के सारे ताले टूट गए और वहां निगरानी कर रहे सभी सैनिक गहरी नींद में सो गए। ऐसा कहा जाता है कि उस समय भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए थे और उन्होंने देवकी-वासुदेव को कहा कि वह देवकी के कोख से जन्म लेंगे।


इसके बाद उन्होंने कहा कि वह उनके अवतार को गोकुल में नंद बाबा के पास छोड़ आएं और मथुरा में जन्मी कन्या को मथुरा ला कर कंस को सौंप दें। इसके बाद वासुदेव ने भगवान के कहने के अनुसार वह नंद बाबा के पास छोड़ आए और गोकुल से लाई कन्या को कंस को सौंप दिए।


उसके बंद क्रोधित कंस को जैसे ही पता चला कि कन्या का जन्म हुआ है। वह उसे मारने के लिए जेल गया और अपना हाथ उठाया, तब अचानक से कन्या गायब हो गई। जिसके बाद आकाशवाणी हुई कि हे मुर्ख! तुम जुस शिशु को मारना चाहते ह, वे गोकुल में है।


यह आकाशवाणी सुनकर कंस डर गया और राक्षसों को गोकुल भेजकर कान्हा को मारने की कोशिश की, लेकिन श्रीकृष्ण ने सभी राक्षसों को एक-एक कर मार दिया और उसके बाद भगवान विष्णु अवतार श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया।